- * फर्जी पत्रकार अपना ग्रुप बना सरकारी विभाग के अधिकारियों व व्यापारियों को करते हैं परेशान,
- * ये अपना ग्रुप बना, किसी बड़ी पार्टी या अधिकारियों पर दबाब बनाकर ऐंठते हैं मोटी रकम
- .* कथित साहूकार व्यवसायी, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले, भूमाफिया आदि भी अब पत्रकार एवं संस्था- संगठना चलाते- बनाते देखे जाने लगे है ! जो कि आज चिंता व चिंतन का विषय है।
डि .एस. ख्वाजा, जिला प्रतिनिधि, चंद्रपुर :- सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंद्रपुर जिले में कुछ कथित व फर्जी पत्रकार , संस्थाए – संगठनाए भोलीभली जनता, व्यापारियों, शासकीय-निमशासकीय अधिकारियों- कर्मचारियों के अज्ञानता का फायदा उठाकर उनकी जेबो पर डाका डाल रहे है। प्रशासन को जल्दी ही ऐसे कथित फ़र्जी पत्रकार तथा फर्जी संस्थाओ-संगठना के विरुद्ध कड़े कदम उठाते हुए इन फ़र्जी पत्रकार एवं संस्था – संगठनों पर कड़ी से कड़ी कारवाई करने की आवश्यकता है।

कौन है ये फर्जी पत्रकार :- ऐसे पत्रकार जो जिस समाचार पत्र अथवा न्यूज़ चैनल में काम करते है उस समाचार पत्र अथवा न्यूज़ चैनल के संपादक या न्यूज एजंसी के दुवारा जारी किया गया नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र ( I card ) उन फर्जी पत्रकारों के पास नही होता है। और होता भी है तो वह समाचार पत्र और न्यूज़ चैनल रजिस्ट्रेशन न्यूज़ पेपर ऑफ इंडिया तथा ब्रॉडकासटिंग के कार्यालय तथा सूचना प्रसारण मंत्रालय दुवारा व्यवस्थित/ निर्धारित किये गये कार्यालयों/ विभागों से पंजीकृत ( registered ) नही होते। कुछ कथित पत्रकारों के समाचार पत्र तथा न्यूज़ चैनल भी ब्लैक लिस्टेड होते है क्योकि वे सम्बंधित कार्यालय को अपना लेखा जोखा जमा नही करते तथा नियमित समाचार पत्र प्रकाशित नही करते। फिर भी ऐसे पत्रकार पत्रकार बने घूमते नज़र आते है । कुछ समाचार पत्र के संपादक केवल ईद और दीपावली में ही विशेष अंक निकलते/ प्रकाशित करते है। जब कि कायदे के अनुसार उन्हें नियमित अंक प्रकाशित करना होता है। ऐसे पत्रकार दीपावली, पत्रकार दिवस, महिला दिवस, पर्यावरण दिवस आदि मौकों पर लोगो को ऐंठते दिखाई देते है।

आपको बता दे कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय कायदे व कानून के अनुसार भारत मे समाचार पत्र – पत्रिका तथा न्यूज़ चैनल चलाने व समाचार प्रकाशित करने के लिए समाचार पत्र के लिए रजिस्ट्रेशन न्यूज़ पेपर ऑफ इंडिया और न्यूज़ चैनल के लिए ब्रॉडकास्ट डिपार्टमेंट तथा सूचना प्रसारण मंत्रालय दुवारा निर्धारित किये गये कार्यालय/ विभाग में पंजीकरन करना अनिवार्य है। तथा हर अंक को जिले के जिला माहिति कार्यलय में जमा करना भी अनिवार्य है।
बता दे कि समाचार पत्र – पत्रिका की नोंदणी/ पंजीकरण ( registration ) के लिए नियमानुसार कैरेक्टर सर्टिफिकेट, शैक्षणिक सम्बंधित दस्तावेज के अलावा अनेक कागजपत्र व दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इन सभी दस्तावेज को अपने क्षेत्र के उपविभागीय अधिकारी ( SDO ) के कार्यालय में जमा करना होता है। जहाँ समाचार पत्र- पत्रिका पंजीकरण के लिए जमा किये गये दस्तावेजो की छानबीन करने के बाद उन्हें पंजीकरण के लिए रजिस्ट्रेशन न्यूज़ पेपर ऑफ इंडिया के दिल्ली कार्यालय भेजा जाता है। समाचार पत्र का पंजीकरण होने के पश्चात उक्त कार्यालय समाचार पत्र के संपादक को एक सर्टिफिकेट जारी करता है। समाचार पत्र- पत्रिका के संपादक को रजिस्ट्रेशन न्यूज़ पेपर ऑफ इंडिया के दुवारा बनाई गयीं गाइडलाइंस तथा आचार संहिता का पालन करते हुऐ समाचार पत्र चलाना तथा प्रकाशित करना होता है।
कौन है फर्जी संस्थाए – संगठन :– सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संस्थाओ- संगठनों को रजिस्ट्रेशन करना होता है जिसके लिए विभिन्न कार्यलय बनाए गए है ताकि उक्त संस्थाएं- सँगठनाए अपना हिसाब क़िताब ऑडिट के रूप में सम्बंधित कार्यलय में जमा कर सके और सम्बंधित कार्यालय दुवारा बनाए गए नियमों के अधीन रहकर कार्य कर सके। परन्तु कुछ फर्जी संस्थाए लोगो से पैसा ऐंठने के लिए उनके दुवारा बनाई गयी संस्था- संगठना का रजिस्ट्रेशन नही करती और ना ही कोई हिसाब किताब रखती है । लोगो से ऐंठे गये पैसों को ये फर्जी संस्थाएं और सँगठनाए आपस मे बाट लेती है। और समय समय पर कार्यक्रम के माध्यम से लोगो को ऐंठने का काम करती है। ऐसी संस्थाओ और सँगठनाओ का खामियाजा रजीसर्ड संस्थाओ और संगठनों को भुगतना पड़ता है जो कि पूरी ईमानदारी से जनहित और देश के लिए काम करते है। ऐसे फर्जी संस्थाओ और संगठनों पर कड़ी से कड़ी करवाई करने की मांग समाजिक कार्यकर्ताओ की ओर से उठने लगी है।
कैसे पहचान करे फर्जी पत्रकारों एवं फर्जी संस्थाओं और संगठनों की :- 1) सबसे पहले उस पत्रकार का नियुक्ति पत्र की हमे जांच करनी चाहिए, उसके पश्चात उसके पहचान पत्र ( i card ) की जांच करनी है।
2) अब वह पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र जिस संपादक अथवा न्यूज़ एजंसी दुवारा जारी किया गया है वह संपादक अथवा न्यूज़ एजंसी ने अपना पंजीकरण रजिस्ट्रेशन न्यूज़ पेपर ऑफ इंडिया व ब्रॉडकास्ट डिपार्टमेंट में किया है कि नही इसकी पुष्टि करने के लिए संबंधित विभाग के वेबसाइट पर जाकर जांच कर ले की वह रजीसर्ड है भी या नही।
3) यदि आपको कही भी दाल में कुछ काला लगे तो इसकी शिकायत या तो पुलिस में करे या फिर सम्बंधित विभाग से करे। ताकि और लोग इनकी ठगी से बच सके।
4) फर्जी संस्था- संगठन की जांच के लिए सबके पहले उक्त संस्था- संगठन से पंजीकरण की सर्टिफाइड कॉपी उस संस्था- संगठन का बायलॉज मांगे जो कि सम्बंधित विभाग दुवारा उक्त संस्था- संगठन को पंजीकरण के पश्चात जारी किया जाता है। इन परिस्थितियों में भी यदि आपको दाल में कुछ काला लगे तो उक्त संस्था- संगठन की शिकायत आप या तो पुलिस में करे या फिर संबंधित विभाग से करे।

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पत्रकारिता को बदनाम करने वाले व अपराधियों को संरक्षण देने वाले पत्रकारों पर होनी चाहिए कड़ी से कड़ी करवाई, प्रेस लिखी अवैध गाड़िया होनी चाहिए सीज, फर्जी आई डी प्रेस कार्ड लेकर बसूली करने वालों की होनी चाहिए जांच, कथित फर्जी पत्रकारों का होना चाहिए गोरखधंधा बंद | प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों फर्जी पत्रकार बनने और बनाने का गोरखधंधा तेजी से बढ़ता जा रहा है, सड़कों पर दिखने वाली हर दसवी गाड़ी में से एक गाड़ी या मोटर साईकिल में प्रेस लिखा दिखता नजर आ जाएगा, कई शहरों में तो पुलिस ने ऐसे फर्जी पत्रकारों के गैंग सहित उनकी बिना कागजात वाली गाड़ियां भी सीज करनी शुरू कर उनके फर्जी आई डी व प्रेस कार्ड के आधार पर मुकदमा भी लिखना शुरू कर दिया है, ये फर्जी पत्रकार अपनी गाड़ियों में बड़ा बड़ा प्रेस का मोनोग्राम तो लगाते ही हैं साथ ही फर्जी आई डी कार्ड भी बनवाकर अधिकारियो व लोगो को रौब में लेने का प्रयास भी करते है, कुछ संस्थाए तो ऐसी है जो 1000 रूपये से लेकर 5000 हजार रूपये जमा करवाकर अपने संस्थान का कार्ड भी बना देती है और बेरोजगार युवकों को गुमराह कर उन्हें बसूली की परमीशन देती है लेकिन पकडे जाने पर वो संस्थायें भी भाग खड़ी होती हैं। लगातार बढ़ती फर्जी पत्रकारों की संख्या से न सिर्फ छोटे कर्मचारी से लेकर अधिकारी परेशान हैं बल्कि खुद समाज व सम्मानित पत्रकार भी अपमानित महसूस नजर आते है। कुछ फर्जी पत्रकारों ने तो अपनी गाड़ियों के आगे पीछे से लेकर वीआईपी विस्टिंग कार्ड भी छपवा रखे है जो लोग पुलिस की चेकिंग के दौरान उनको प्रेस का धौस भी दिखाते है गाड़ी रोकने पर पुलिसकर्मी से बत्तमीजी पर भी उतारू हो जाते है इनमे से तो बहुत से ऐसे पत्रकार है जो पेशे से तो भूमाफिया, साहूकार, दो नंबर वाले और अपराधी है। जिन पर न जाने कितने अपराधिक मुक़दमे भी दर्ज हैं लेकिन अपनी खंचाड़ा गाड़ी से लेकर वीआईपी गाड़ी पर बड़ा बड़ा प्रेस मीडिया छपवा कर मीडिया को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। लेकिन अब ऐसे पत्रकारों को चिन्हित कर पुलिस विभाग के साथ साथ सम्मानित व पंजीकृत पत्रकार संघ – संस्थाओ को ऐसे फर्जी पत्रकारों को सलाखों के पीछे पहुँचाने का काम करना जरूरी हो गया है जो पत्रकारिता के चौथे स्तम्भ को बदनाम कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये कार्यवाही कई जिलों में शुरू हो गयी है । पत्रकारिता के नाम पर अपराधी किस्म के लोग पुलिस से बचने के बजाय अब जाएंगे जेल । इस कार्यवाही से फर्जी पत्रकार होंगे बेनकाब और अपराध मे भी आयेगी कमी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पत्रकार केवल वह ही अपने वाहन पर लिख सकता है प्रेस जिसका नाम जन सूचना अधिकारी/ जिला माहिति अधिकारी(जनसंपर्क विभाग) की लिस्ट में जुड़ा हो।