अठहरा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
विदर्भ प्रिंट, नागपुर। शहर का विकास जिस तेजी से बढ़ता जा रहा है,उतनी ही तेज गति से जमीन फर्जीवाड़ा के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। एक नहीं ऐसे अनेकाें प्रकरणों से यह साबित हो चुका है कि सरकारी अधिकारियों के साथ ही राजनीतिक पार्टी के पदाधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधि भी इसमें लिप्त पाये जा रहे है, उसी का एक मामला पवनशक्ति नगर मौजा भांडेवाड़ी में देखने मिला है। उसी का पत्र परिषद 3 मई शनिवार को पीडि़तों ने ली व अपना दर्द बयां किया, पत्र परिषद में शहजादा अंसारी ने बताया कि मौजा भांडेवाड़ी के पवनशक्ति नगर खसरा नंबर 116 व 117 के एनआईटी की मालकीयत की जमीन पर कब्जा कर अब्बुमियां ने डेवलपर नागपुरे के साथ मिलकर एनआईटी अधिकारियों से संगनमत कर जमीन बेच कर प्लाटधारकों के साथ धोखाधड़ी की है। यह घटना पवनशक्ति नगर भांडेवाडी परिसर की है। जिसका खसरा नंबर 116 व 117 है। इसमें करीब अब्बुमियां के साथ ही अठहराह लोगों के खिलाफ पुलिस ने 16 अप्रैल 2025 को आरोपियों के खिलाफ विविध धाराओं 420, 468, 471 व 34 के साथ प्रकरण दर्ज किया है। लेकिन जांच अभी भी ठंडे बस्ते में ही है। पुलिस ने अभी तक इन आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की है। जिस पर लेआउट डालकर बेचा गया है उस जमीन के मालिक को उक्त जमीन का मुआवजा पहले ही लैंड एक्वीजिशन एक्ट के तहत कोर्ट से मिल चुका है। बावजूद खुद की मालकियत की जमीन बताकर प्लाट बनाकर प्लाट बेचने का गोरखधंधा अब्बुमियां व उनके साथीदारों की ओर से किया गया है। जिसमें जिन लोगों ने प्लाट लेकर घर बनाया है उनके मकान एनआईटी ने तोड़कर मकान मालिकों को बेघर बनाया है । उन्होंने बताया कि
क्या है 116 व 117 का मामला
खसरा नं 116 व 117 में 60 एकर लैंड का खसरा है। इसमें 54 एकर लैंड एनएमसी और एनआईटी
के लिए आरक्षण है। इसमें से 6.75 एकड 116/1 व 117/2 लैंड अब्बुमियां के नाम पर है। इसमें उन्होंने प्लाट बनाकर लैंड डेवलपर नागपुरे के माध्यम से सन 2008 से 2014 तक प्लाट बेच दिया। यह लेआउट पूरा सोल्ड आउट हो चुका है। उसके ही समीप की जगह पर भी अब्बुमियां की नजर पड़ी। तब वहीं पुराना सातबारा व रजिस्ट्री की कॉपी दिखाकर अब्बुमियां ने प्लाट बेचना शुरु किया, लेकिन यह जमीन एनएमसी के लिए आरक्षित होने के बावजूद उसे बेचना शुरू किया। इसमें करीब 9 करोड़ से भी अधिक की रकम गबन किया गया है । अब इन प्लाटों की रजिस्ट्री भी लग चुकी है और रेगुलराइज्ड करने के लिए तीन हजार रुपये का चालान भी जमा किया गया है। इसके बाद अब प्रशासन को जाग आई कि यह जमीन का मालिक एनआईटी है और इसका एनएमसी के लिए आरक्षित भी है। इस संबंध में अधिकारियों से मिलने पर बताया कि यह जमीन का आरक्षण है और इसके कागजात मांगने पर जमीन मालिक वह देने में असमर्थ रहे। तब जाकर इसकी असलीयत सामने आयी।
पुलिस व एनआईटी की मिलीभगत
इसकी शिकायत पुलिस से करने पर उन्होंने आनाकानी की और पिछले माह यानी 16 अप्रैल 20 2 5 को 18 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर की, लेकिन अभी तक उनसे पूछताछ भी नहीं की गई है । सवाल इस बात की है कि एनआईटी की जमीन की रजिस्टरी लगाकर बेचने के बावजूद भी वरिष्ठ अधिकारियों को कानोकान पता नहीं लग पाता है और एनआईटी में तीन हजार रुपये जमा करने पर भी विभाग को पता नहीं लगता लेकिन अचानक बुलडोजर कार्रवाई कर 16 मकान, 12 से 15 वॉल कम्पाउंड व 20 से 22 कच्चे मकान तोड़ने की तत्परता विभाग दिखाता है। इसमें ऐसे गरीबों के प्लाट है जो दिन भर मेहनत कर अपना परिवार का पेट पालते है, लेकिन प्रशासन को इसकी भी परवाह नहीं है कि असली गुनहगारों तक पहुंच कर कार्रवाई कर सके। वहां प्लाट खरीदनेवालों में बेहद गरीबी में जीवनयापन करनेवालों की संख्या अधिक है। क्या पुलिस व एनआईटी इस पर ध्यान देना मुनासीब समझेगी क्या यह सवाल भी पत्र परिषद में उपस्थितों ने उठाया है।
क्षेत्र के विधायक के परिचितों के मकान सही सलामत
इसी जमीन पर और भी मकान है, लेकिन वे विधायक के परिचित होने उनके करीब 44 मकान अभी तोड़े नहीं गये है। यह भेदभाव हमारे भी समझ से परे है.यह भी उसी जमीन पर है जो एनआईटी ने अपनी मालकी के होने का दावा किया है । पत्र परिषद में प्लाटधारक शहजादा अन्सारी, शमी अन्सारी, शाहनवाज अन्सारी, नरेश घई, आम्रपाली मेश्राम व यशोधरा गजभिये की उपस्थिति रही।